लेखनी कविता -तहों में दिल के जहां कोई वारदात हुई - फ़िराक़ गोरखपुरी

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तहों में दिल के जहां कोई वारदात हुई / फ़िराक़ गोरखपुरी तहों में दिल के जहां कोई वारदात हुई हयाते-ताज़ा से लबरेज़ कायनात हुई तुम्हीं ने बायसे-ग़म बारहा किया दरयाफ़्त कहा ...

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